दिल्ली हाईकोर्ट : ने एक महत्वपूर्ण फैसले में स्पष्ट किया है कि किसी भी रेल दुर्घटना में पीड़ित या मृतक को कथित लापरवाही के आधार पर जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता। अदालत ने कहा कि रेल परिसर में हर यात्री की सुरक्षा सुनिश्चित करना रेलवे पुलिस और कर्मचारियों का कर्तव्य है। यदि कोई व्यक्ति प्लेटफॉर्म के बहुत करीब खड़ा हो, तो उसे सावधानीपूर्वक हटाना रेलवे अधिकारियों की जिम्मेदारी है।
जस्टिस मनोज जैन की बेंच ने एक महिला की रेल दुर्घटना में मौत के मामले में उसके पति और बच्चों को मुआवजा देने का आदेश दिया। कोर्ट ने कहा कि रेलवे ट्रिब्यूनल ने गलत तरीके से मुआवजे से इनकार किया था।
Rail Accident Case 2016: महिला की मौत पर कोर्ट की फटकार
यह मामला 22 जनवरी 2016 का है, जब गाजियाबाद से मथुरा आ रही एक महिला भूतेश्वर रेलवे स्टेशन पर भीड़भाड़ के कारण चलती ट्रेन से गिर गई और उसकी मौत हो गई। रेलवे ट्रिब्यूनल ने दावा खारिज करते हुए कहा कि महिला यात्री नहीं थीं क्योंकि शव के पास टिकट नहीं मिला।
इस पर हाईकोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई और कहा —
“यदि महिला प्लेटफॉर्म के बहुत करीब खड़ी थीं, तो रेलवे पुलिस और अधिकारी उस समय क्या कर रहे थे? यह उनकी ड्यूटी में लापरवाही का उदाहरण है।”
Court Observation: रेलवे को देना होगा मुआवजा
हाईकोर्ट ने कहा कि यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना रेलवे की प्राथमिक जिम्मेदारी है। अगर रेलवे अधिकारी अपनी ड्यूटी निभाने में विफल रहते हैं, तो किसी भी बहाने से मुआवजे से बचना अस्वीकार्य होगा। अदालत ने स्पष्ट किया कि इस तरह की घटनाएं हर दिन लाखों यात्रियों की जान को खतरे में डालती हैं, इसलिए रेलवे को जवाबदेह बनना ही होगा।