दिल्ली। राजधानी के घरों में रहने वाले लोगों के लिए चेतावनी भरी खबर आई है। एक नए अध्ययन में पता चला है कि दिल्ली के घरों के अंदर की हवा में फफूंद के बीजाणु और बैक्टीरिया WHO की सुरक्षा सीमा से क्रमशः 12 और 10 गुना अधिक पाए गए हैं। शोधकर्ताओं ने बताया कि लंबे समय तक इनसे संपर्क में रहने से त्वचा की एलर्जी, श्वसन संबंधी समस्याएं और मानसिक तनाव बढ़ सकता है।
अध्ययन के अनुसार, फफूंद के कण 2.5 माइक्रोन से भी छोटे थे, जो फेफड़ों में गहराई तक पहुंच सकते हैं। सर्दियों में फफूंद का स्तर लगातार बढ़ता है और सितंबर-नवंबर में पतझड़ के दौरान उच्चतम स्तर (लगभग 6,050 सीएफयू प्रति घन मीटर) पर पहुँचता है, जो दिल्ली में धुंध फैलने से ठीक पहले की अवधि है। बैक्टीरिया का स्तर गर्मियों में चरम पर होता है और पतझड़ में धीरे-धीरे घटता है।
अध्ययन में पाया गया कि 33% लोगों ने बार-बार सिरदर्द, 23% ने आँखों में जलन, 22% ने खांसी और सांस लेने में कठिनाई और 18% ने छींक या एलर्जिक राइनाइटिस की शिकायत की। बच्चों और युवा वयस्कों में सबसे अधिक संवेदनशीलता देखी गई। 12 साल से कम उम्र के 28% बच्चों और 18–30 वर्ष के 25% युवाओं ने श्वसन और एलर्जी से जुड़े लक्षण दर्ज किए।
शोध में यह भी उजागर हुआ कि महिलाओं में त्वचा और आँखों की समस्या ज्यादा पाई गई, संभवतः क्योंकि वे घर में अधिक समय बिताती हैं। अध्ययन ‘भारत के दिल्ली के घनी आबादी वाले शहरी क्षेत्रों में सूक्ष्मजीवी इनडोर वायु गुणवत्ता आकलन और स्वास्थ्य सहसंबंध’ के शीर्षक से प्रकाशित हुआ।