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छत्तीसगढ़ के बीजापुर के पत्रकार मुकेश चंद्राकर की संदिग्ध हत्या की यह घटना न केवल दिल दहला देने वाली है, बल्कि पत्रकारिता और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर गंभीर सवाल खड़े करती है, बीजापुर से प्राप्त जानकारी के अनुसार, उनका शव एक सड़क ठेकेदार के घर के पीछे सेप्टिक टैंक से बरामद किया गया है इस बात की आशंका जताई जा रही है कि पत्रकार की हत्या में सड़क ठेकेदार का हाथ हो सकता है ।
यह घटना बताती है कि भ्रष्टाचार और अन्याय के खिलाफ आवाज उठाना आज कितना खतरनाक हो सकता है। जब सच को उजागर करने वाले पत्रकारों को इस तरह से मौत का शिकार बनाया जा रहा है, तो यह लोकतंत्र के लिए बेहद ही चिंताजनक स्थिति है ।
छत्तीसगढ़ सरकार और प्रशासन को अब यह स्पष्ट करना होगा कि वे पत्रकारों की सुरक्षा और स्वतंत्रता को बनाए रखने के लिए क्या कदम उठा रहे हैं। ऐसी घटनाएं उन तमाम दावों पर सवालिया निशान लगाती है, जिनमें सरकारे खुद को “पत्रकार हितैषी”बताने का दावा करती है ।
पत्रकारों पर हमले किसी एक व्यक्ति पर नहीं ,बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों और जनता के सूचना के अधिकार पर सीधा हमला है । यह समय है कि सरकार और समाज मिलकर इन खतरों का सामना करें, ताकि पत्रकारों को सुरक्षित माहौल मिल सके और न्याय व्यवस्था दोषियों को सख्त से सख्त सजा दे सके।