बालोद में वन विभाग का बड़ा एक्शन: न पंचनामा न पोस्टमार्टम, ऐसे ही दफन किया था भालू का शव, दो वनरक्षक सस्पेंड

बालोद। बालोद जिले में भालू की संदिग्ध मौत के मामले में पहली कार्रवाई सामने आई है। यहां पर वन मंडल अधिकारी ने दो वंरक्षकों को सस्पेंड कर दिया है। सिविल सेवा नियम 1966 के नियम 9 के तहत तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया है। दोनों वंरक्षकों के ऊपर आरोप है कि उनके द्वारा खुद के निर्णय से भालू के शव को दफनाया गया। वनरक्षक विशेखा नाग और दरेनकुमार पटेल के ऊपर यह निलंबन की कार्रवाई की गई है। दोनों अलग-अलग वन परिसर के वनरक्षक हैं। अब भालू मामले में जांच और तेज की गई है। अभी और भी कार्रवाई इस पूरे मामले में हो सकती है।

उच्च अधिकारियों से छिपाया मामला
वन विभाग ने यह निलंबन की कार्रवाई कल देर शाम तक की है। वहीं इस कार्रवाई के बाद से हड़कंप मचा हुआ है। दरअसल, बीते 24 फरवरी को आंदोलन जलाशय में एक भालू की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हुई थी। न इसका पंचनामा किया गया, न ही पोस्टमार्टम किया गया। उसे बिना अधिकारियों को अवगत कारण दफन कर दिया गया था। पूरे मामले की जांच के बाद वन विभाग ने खुदाई की तो भालू का शव मिला। जिसके बाद सभी की मौजूदगी में सारे नियम के साथ और भालू के मृत शरीर के सैंपल लेने के बाद उसे दाह संस्कार किया गया है।

3 सदस्यीय जांच टीम की पहली कार्रवाई
भालू के संदिग्ध मौत के मामले में तीन सदस्य जांच टीम का गठन वन विभाग द्वारा किया गया था। वहीं यह मामला प्रदेश तक भी पहुंचा हुआ है। जिले से जांच रिपोर्ट तलब करने के बाद प्रदेश की टीम भी इस पूरे मामले में जांच कर सकती है। तीन सदस्य प्रारंभिक जांच टीम ने यहां पर जांच प्रतिवेदन प्रस्तुत किया था। जिसमें वंरक्षकों की लापरवाही पाई गई थी। सिविल सेवा आचरण अधिनियम 1965 के नियम तीन का उल्लंघन करने का मामला है। इसमें सामने आया इसके बाद छत्तीसगढ़ सिविल सेवा नियम 1966 के नियम 9 के तहत तत्काल प्रभाव से दो वंरक्षकों को निलंबित किया गया है।

news portal development company in india
marketmystique
Recent Posts