Pope Francis Passes Away: पोप फ्रांसिस का निधन, 88 की उम्र में ली आखिरी सांस; लंबे समय से थे बीमार

इंटरनेशनल न्यूज़। पोप फ्रांसिस अब हमारे बीच नहीं रहे। सोमवार 21 अप्रैल, 2025 को 88 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। उन्होंने वेटिकन के कासा सांता मार्टा स्थित अपने निवास पर अंतिम सांस ली। वेटिकन समाचार के मुताबिक, वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे। बीते दिन ईस्टर के अवसर पर लंबे समय के बाद वे लोगों के सामने आए थे।

लंबे समय से बीमार चल रहे थे पोप फ्रांसिस
पोप फ्रांसिस लंबे समय से बीमार चल रहे थे। लगभग एक महीने तक अस्पताल में इलाज कराने के बाद पोप 24 मार्च को अपने निवास स्थान कासा सांता मार्टा लौटे थे। अस्पताल से लौटने पर उन्होंने बड़ी संख्या में अस्पताल के बाहर जमा हुए लोगों को आशीर्वाद दिया था। सार्वजनिक रूप से पोप को देखने के बाद लोग काफी खुश दिखे थे और जयकारे भी लगाए थे।

करीब एक महीने से ज्यादा समय तक अस्पताल में रहे थे भर्ती
पोप फ्रांसिस को 14 फरवरी को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें डबल निमोनिया हो गया था। अस्पताल में चिकित्सकों की निगरानी में उनका चला था। एक महीने से ज्यादा समय अस्पताल में बिताने के बाद उन्हें छुट्टी दी गई थी। पोप की देखभाल करने वाले सर्जरी प्रमुख सर्जियो अल्फिएरी ने बताया था कि उन्हें दवाइयां की जरूरत पड़ती रहेगी।

युवावस्था में निकाला गया था फेफडे़ का हिस्सा
पोप फ्रांसिस जब जवान थे, तब उनके एक फेफड़े में संक्रमण के कारण उसे हटाना पड़ा था। इस कारण उन्हें सांस से जुड़ी बीमारियों का सामना करना पड़ रहा था। 2023 में भी उन्हें फेफड़ों में संक्रमण के कारण अस्पताल में भर्ती होना पड़ा था।

भारत की यात्रा की थी अटकलें
पोप फ्रांसिस भारत आने वाले थे। पिछले साल दिसंबर में केंद्रीय मंत्री जॉर्ज कुरियन ने बताया था कि पोप फ्रांसिस के 2025 के बाद भारत दौरे पर आने की संभावना है। 2025 को कैथोलिक चर्च ने जुबली वर्ष के रूप में घोषित किया है। भारत पहले ही पोप फ्रांसिस को आधिकारिक तौर पर आमंत्रित कर चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उन्हें सीधे तौर पर निमंत्रण दे चुके हैं। यात्रा पोप की सेहत और सुविधा के अनुसार निर्धारित की जाने वाली थी।

पोप फ्रांसिस का आखिरी संदेश
पोप फ्रांसिस ने अपने आखिर संदेश में जरूरतमंदों की मदद करने, भूखों को खाना देने और विकास को बढ़ावा देने वाली पहलों को प्रोत्साहित करने की अपील की थी। ईस्टर पर जारी अपने संदेश में उन्होंने लिखा, ‘मैं हमारी दुनिया में राजनीतिक जिम्मेदारी के पदों पर बैठे सभी लोगों से अपील करता हूं कि वे डर के आगे न झुकें। डर दूसरों से अलगाव की ओर ले जाता है। सभी जरूरतमंदों की मदद करने, भूख से लड़ने और विकास को बढ़ावा देने वाली पहलों को प्रोत्साहित करने के लिए उपलब्ध संसाधनों का उपयोग करें। ये शांति के हथियार हैं, हथियार जो मौत के बीज बोने के बजाय भविष्य का निर्माण करते हैं! मानवता का सिद्धांत हमारे दैनिक कार्यों की पहचान बनने से कभी न चूके।’

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