इंटरनेशनल न्यूज़। एक ओर भारत ने दो दिन में पाकिस्तान की सैन्य और रणनीतिक कमर तोड़ दी, तो दूसरी ओर पाकिस्तान की हकीकत अब पूरी दुनिया के सामने खुलकर आ गई है। जो मुल्क कल तक खुद को “परमाणु शक्ति” कहकर धमकियां दे रहा था, वह आज फिर से अंतरराष्ट्रीय मंचों पर कर्ज़ की गुहार लगाता नजर आ रहा है।
दरअसल, पाकिस्तान के वित्त मंत्रालय की ओर से सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर एक आपातकालीन पोस्ट किया गया, जिसमें अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों से मदद और अतिरिक्त ऋण की मांग की गई है। इस पोस्ट में सरकार ने साफ कहा है कि “वर्तमान युद्ध की स्थिति और भारी आर्थिक नुकसान के चलते हमें तत्काल सहयोग की आवश्यकता है।” इस बयान से यह स्पष्ट हो गया कि युद्ध के महज दो दिनों में ही पाकिस्तान की माली हालत पूरी तरह चरमरा चुकी है।
मंत्री जी रोते दिखे, फिर भी गीदड़भभकी जारी
पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ की एक लाइव टीवी क्लिप सोशल मीडिया पर वायरल हो रही है, जिसमें वे रोते हुए नजर आए। हालांकि, इस भावनात्मक क्षण के बाद भी आसिफ ने भारत को फिर से धमकी दी और कहा कि अगर कूटनीति से बात नहीं हुई तो “बंदूकें बोलेंगी”। उन्होंने दावा किया कि पाकिस्तान अब धैर्य नहीं दिखाएगा।
पाक मंत्रालय का कहना- एक्स अकाउंट हैक होने के बाद पोस्ट की गई
हालांकि इस बीच पाकिस्तान के आर्थिक मामलों मंत्रालय ने शुक्रवार को दावा किया कि उसका आधिकारिक ‘X’ (पूर्व में ट्विटर) अकाउंट हैक कर लिया गया था, दरअसल, एक पोस्ट में भारत के साथ बढ़ते तनाव के बीच अंतरराष्ट्रीय ऋणों की मांग की गई थी। मंत्रालय ने समाचार एजेंसी रॉयटर्स से बात करते हुए कहा, “हम ट्विटर (X) अकाउंट को बंद करने की कोशिश कर रहे हैं,” और यह स्पष्ट किया कि मंत्रालय ने वह पोस्ट नहीं की थी।
आर्थिक संकट में घिरा पाकिस्तान, अंतरराष्ट्रीय समुदाय से लोन की गुहार
पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही है और अब हालात इतने गंभीर हो चुके हैं कि देश के इकोनॉमिक अफेयर्स डिवीजन ने औपचारिक रूप से अंतरराष्ट्रीय साझेदारों से वित्तीय सहायता की अपील की है। विभाग ने कहा है कि बढ़ते सैन्य तनाव और शेयर बाजार में भारी गिरावट के चलते देश को गंभीर आर्थिक दबाव का सामना करना पड़ रहा है, और उसे तत्काल वित्तीय सहयोग की आवश्यकता है।
जानकारी के अनुसार, मई 2025 तक पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार मात्र 15.25 अरब डॉलर रह गया है, जबकि उसे अगले 12 महीनों में लगभग 30 अरब डॉलर का विदेशी ऋण चुकाना है। यह आंकड़े पाकिस्तान की भुगतान क्षमता पर बड़े खतरे का संकेत हैं और अंतरराष्ट्रीय एजेंसियों के लिए चिंता का विषय बनते जा रहे हैं।